Wednesday, March 6, 2024

She Inspires US- Meri maa

She Inspires US, she is a motion,
She derives US, such a silky potion,
She desire US to make our way to Ocean.

Yet she was misinterpreted often & often misunderstood.
Such soul was often prejudice & misjudged.

She created the ideology but those crates were questioned,
She was always answerable but such impression was questioned,
Their questions to her were so improper & baseless,
That the truth prevails & blind those ruthless!

She is a helping hand when other hands are down,
A farmer in the mid of thorn,
A trustworthy light before the dawn,
An Underarmour when all other defences withdrawn,
A caretaker since I wasn't even born.

With lots of love to my mother..





Tuesday, January 17, 2023

The Private Bank Staff



When the people suffer deep sorrow, 
You came as a savior out of the shadow,
Preventing people fall-off to the wild hound,
Holding the people on such a strong ground.



Paving the way for business induction,
Making the people march with enlighten ignition,
You spark a ray of light,
Making it count for the people’s delight.



You are there out in the cold dark and haze,
Comforting the underprivileged life which is amaze,
Raising the bar of standard & living harmony,
Making the best use of time luck & money.




In the harsh times like Demonetization and Covid,
Guarding people's money & helping them to have it,
Serving at critical time when the service was at will,
Many lost lives while fulfilling customers will.





Still private bankers are underpaid and exploited 



||ये उत्कर्ष ||



उद्गम का उत्कर्ष है ये, 
उन्माद का उत्कर्ष,
उद्घोष का उत्कर्ष है ये,
उल्लास का उत्कर्ष।


संग सभी का हर्ष है ये,
संघर्षों में उत्कर्ष,
जन-मानस को कर्ज दे ये,
जनाधिकारों का उत्कर्ष।


बढ़ने की आस दे ये,
बढोतरी का उत्कर्ष,
गांव शहर समेट देवे,
उम्मीदों का खाता ये उत्कर्ष।


अशक्त के अंधेरे को मिटाता,
आशा की किरण सा उत्कर्ष,
दुर्बल को बलवान बनाता,
शक्तिवान ये उत्कर्ष।।


Thursday, December 29, 2022

कल और आज

कल की बात थी सुहानी ,
आज और कल की ये कहानी,
परसों की सरसों हो गई पुरानी,
नर्सों फिर दोहराए आज कल की कहानी।

सुबह की अंगड़ाई थी जैसे अंग लगाई,
चाय पराठा लगे रस मलाई,
शाम को चले मूडी लाई,
जो खाने के पहले की थी खवाई।

रात की बात डिबरी और चटाई के साथ,
लाइट जो चली जाए तो थी क्या बात,
अंताक्षरी और कहानी का था सटीक पल,
पल तो बीत गया बचा है बस कल।


ये कल कब आयेगा पधारो म्हारे देस,
इंतजार है तुम्हारा, भूल के सारे द्वेष,
थोड़ी जल्दी आओ, आओ किसी के भेष,
पुनरावृत्ति कर दो जिसकी बस स्मृति है शेष।



Wednesday, December 28, 2022

जब जागो तो सवेरा

।।जब जागो तो सवेरा।।


मेरी आस हो तो मैं तेरा,
तेरी आस हो तो कौन मैं तेरा,
जब जागो तो सवेरा।

काम हो मेरा तब मैं तेरा,
बैर हो तुझसे तब भी तू मेरा,
पर फायदा अगर तेरा, तो लगाऊं मैं बेड़ा,
जब जागो तो सवेरा।

सारे मर्यादेन मैने लांघी तब कहा था घेरा,
एक बार तू लांघ कर तो देख करूं बखेड़ा
ज्ञात मुझे की मानता मुझे अपना,
इसी विश्वास के ऊपर तना अपना तबेला,
जब जागो तो सवेरा।।

Friday, June 24, 2016

Nature Calls

Have you ever sensed the wind?
have you felt it's breeze?
have you heard what it says?
just flow with it to find it out..





Touched the fresh and frightening grass?
touched the soft cushion it makes?
just lie upon it to find it out..






Have you ever felt the mist?
Have you seen the treasure it hides?
just be lost in it to find it out..




अनदेखा

 देखा है.....

इस दुनिया में हमने सब देखा है,
वो देखा है जो कम लोगों ने देखा है,
देख कर भी अनदेखा है ॥




कभी इकरार तो कभी इन्कार देखा है ,
प्रेम देखा है पर उसमे विकार भी देखा है,
चाहतों में सिमटे संसार को देखा है,
देख कर भी अनदेखा है ॥




प्यार देखा है तो रार भी देखा  है,
अनसुने अनजाने तकरार को देखा है,
मतलबी मस्ताने इंसान को देखा है,
देख कर भी अनदेखा है ॥