Thursday, December 29, 2022

कल और आज

कल की बात थी सुहानी ,
आज और कल की ये कहानी,
परसों की सरसों हो गई पुरानी,
नर्सों फिर दोहराए आज कल की कहानी।

सुबह की अंगड़ाई थी जैसे अंग लगाई,
चाय पराठा लगे रस मलाई,
शाम को चले मूडी लाई,
जो खाने के पहले की थी खवाई।

रात की बात डिबरी और चटाई के साथ,
लाइट जो चली जाए तो थी क्या बात,
अंताक्षरी और कहानी का था सटीक पल,
पल तो बीत गया बचा है बस कल।


ये कल कब आयेगा पधारो म्हारे देस,
इंतजार है तुम्हारा, भूल के सारे द्वेष,
थोड़ी जल्दी आओ, आओ किसी के भेष,
पुनरावृत्ति कर दो जिसकी बस स्मृति है शेष।



Wednesday, December 28, 2022

जब जागो तो सवेरा

।।जब जागो तो सवेरा।।


मेरी आस हो तो मैं तेरा,
तेरी आस हो तो कौन मैं तेरा,
जब जागो तो सवेरा।

काम हो मेरा तब मैं तेरा,
बैर हो तुझसे तब भी तू मेरा,
पर फायदा अगर तेरा, तो लगाऊं मैं बेड़ा,
जब जागो तो सवेरा।

सारे मर्यादेन मैने लांघी तब कहा था घेरा,
एक बार तू लांघ कर तो देख करूं बखेड़ा
ज्ञात मुझे की मानता मुझे अपना,
इसी विश्वास के ऊपर तना अपना तबेला,
जब जागो तो सवेरा।।