Thursday, July 30, 2009

टूटते तारे

आता है चंद्रमा , कहता कुछ मुझसे है ..
आते हैं तारे, चाहते कुछ मुझसे है..
फिर आई रात, कुछ खुश सी यह मुझसे है,
इनका है कहना, अपनों के संग तुम्हे है रहना,
| अलग न होना परिवार से, विनती बार बार है |

हमारा अपना परिवार है,
रातें भी गुलज़ार है ,
एक नदी हैं हम .... अकेले मझधार है,
एक साथ जगमगाते हम..किसकी मज़ाल है ?
| अलग न होना परिवार से, विनती बार बार है |

अपने तो अपने ही होते हैं,
दूसरो के अपने तो सपने होते हैं ,
दूसरो के अपनों से जो रिश्ता गहराया ,
उसी पल अपनों से रिश्ता सिम्टाया ,
बात जान लो ऐ मेरे मित्र..
अपनों से बढ़ कर अपना नहीं दूजा कोई भी पराया |
| अलग न होना परिवार से, विनती बार बार है |


बंधन टूटे , टूटे रिश्ते और नाते .
एक बार जो छोड़ गया, न बन पाए फिर से वह सितारा,
बिखर जाता वो फिरता रहता मारा-मारा,
शून्य हो जाता अंत में ,ये किसकी आँख का था तारा ?

| अलग होना परिवार से, विनती बार बार है |