Wednesday, December 28, 2022

जब जागो तो सवेरा

।।जब जागो तो सवेरा।।


मेरी आस हो तो मैं तेरा,
तेरी आस हो तो कौन मैं तेरा,
जब जागो तो सवेरा।

काम हो मेरा तब मैं तेरा,
बैर हो तुझसे तब भी तू मेरा,
पर फायदा अगर तेरा, तो लगाऊं मैं बेड़ा,
जब जागो तो सवेरा।

सारे मर्यादेन मैने लांघी तब कहा था घेरा,
एक बार तू लांघ कर तो देख करूं बखेड़ा
ज्ञात मुझे की मानता मुझे अपना,
इसी विश्वास के ऊपर तना अपना तबेला,
जब जागो तो सवेरा।।

2 comments:

Akansha Chaubey said...

Great poetry😍😍

Prachi said...

Wow..... Jigs 💕💕👌👌