Friday, February 27, 2009

अनोखी रात (Hindi Poem)

अदभुत अनोखी रात
आ गयी आज कुछ नए दृश्यों के साथ|
बादलों ने घेरा आसमान है,
निशा तो है परन्तु तारे अद्रश्य भान है|
उन सितारों के बिना यह निशा लगती कुछ उद्दास सी,
मानों की अपने बिछडे प्रेमी से मिलने की हो एक आस सी||

1 comment:

Anonymous said...

AWESOME