Amplified Poetry
The soul within
Friday, February 27, 2009
अनोखी रात (Hindi Poem)
अदभुत अनोखी रात
आ गयी आज कुछ नए दृश्यों के साथ|
बादलों ने घेरा आसमान है,
निशा तो है परन्तु तारे अद्रश्य भान है|
उन सितारों के बिना यह निशा लगती कुछ उद्दास सी,
मानों की अपने बिछडे प्रेमी से मिलने की हो एक आस सी||
1 comment:
Anonymous said...
AWESOME
July 31, 2009 at 12:08 PM
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AWESOME
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