मैं हूँ आधुनिक मनुष्य ,
आधुनिकता है मेरा पर्याय,
आधुनिकता है मेरी गाथा,
हूँ मैं अपनी ही धुन में,
अनैतिकता मैं करता जाता,
मैं हूँ आधुनिक मनुष्य,
ये धुन है एक अनैतिक गाथा..
मैं हूँ परिपूर्ण,
मैं हूँ संपूर्ण,
उपयोग करता मैं सबका,
कार्य सिद्धि कर जाता,
जो अगर तू न पिघले,
जज़्बातों के मैं तीर चलाता,
मैं हूँ आधुनिक मनुष्य,
ये धुन है एक अनैतिक गाथा..
मेरे जीवन में तेरी अहमियत क्या?
तू तो एक रास्ता है, जो तरक्की को जाता,
साम-दाम-दंड-भेद, सभी मैं अपनाता,
देख मैं तुझ पर वार करता,
फ़िर भी तुझे जीत जाता,
आखिरकार ऊँचाइयों की बुलंदियों पे पहुंचना,
यूँ ही सुगम न हो जाता..
मैं हूँ आधुनिक मनुष्य,
ये धुन है एक अनैतिक गाथा..
अपनी भौतिक संतुष्टि की अनुभूति हेतु,
तेरी आत्मा को मैं दुःख पहुंचाता,
लेकिन मुझे इससे वास्ता क्या,
मैं तो अपने ही भव-सागर में गोते लगता,
मैं हूँ आधुनिक मनुष्य,
ये धुन है एक अनैतिक गाथा..
दर्पण में तनिक देख लो खुद को,
अदृश्य सी कुछ बेड़ियों से तुम हो जकड़े,
जाने क्यूँ मुझ पर समर्पित तुम लगते,
तुम्हारे जज़्बातों से खिलवाड़ मैं करता,
और तुम अभी तक हो मुझको पकड़े?
मैं हूँ आधुनिक मनुष्य,
ये धुन है एक अनैतिक गाथा..
जो अगर रूठ जाओ मुझसे कभी तुम,
भूल के में भी दूर न जाने की सोचना तुम,
पता तुम्हे भी है की सब हैं आधुनिक आजकल,
खोज न पाओगे मुझसे बेहतर अनैतिक आज या कल,
मैं हूँ आधुनिक मनुष्य,
ये धुन है एक अनैतिक गाथा..
7 comments:
Very thoughtful and realistic words. :)
Ye Adhunik Purush ki Gatha ..hum sabko bahut hai rulata ;(
Quite realistic & deep down analysis in ur poem ..
& At the end wen we realize this adhunik gatha , we are partly ashamed of ourselves... Sad but true ..!
very true
@shishir: Thanks for the nice appreciation.
@Neetish: Ajj ka adhunik purush aisa hi hai..we can do much about it..but thanks for liking :)
@srishti: You have nicely got the theme of this poem :), thanks for liking!
@Shreyas: Thank oo :D
Marvelous…..
saadepunjab.com
Informative blog…keralaflowerplaza.com
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