Monday, July 18, 2011

आज-कल की बातें



कुछ बातें आज कर लो, आज-कल की बातें अभी कर लो,
कुछ अगले पल की बातें और कुछ बीतीं- हुई बिखरी-सी यादें,
कुछ उम्मीदों से सजा साजो-आवाज़, कुछ खट्टा-मीठा एहसास,   
ओझल न होने दो इन्हें ,इन पलों को समेट ज़रा जी लो|



कुछ-कल अभी जी लो, कुछ पग-पग जी लो,
इसी पल में है सब समाया, गुज़रते वक़्त की बाहें तुम ज़रा थाम लो,
कुछ बातें आज कर लो, आज-कल की बातें अभी कर लो|


कुछ अपने कुछ बेगाने, सब हैं यहाँ सयाने ,
सबके साथ यहाँ जी लो, सबके पास यहाँ जी लो,
अनुभवों के इन महीन धागों से, ज़रा ज़िन्दगी तुम बुन लो|
कुछ बातें आज कर लो, आज-कल की बातें अभी कर लो,


कुछ रास्ते कठिन, सुगम और दुर्गम,
कुछ बुलन्दियों से हौसलों को बढ़ाओ हम-दम,
कुछ कदम-हिम्मत से आज बढा लो,
कुछ बातें आज कर लो, आज-कल की बातें अभी कर लो|

कुछ चेहरे चर्चित, परिचित, अपरिचित,
सबके चेहरों में मुस्कराता एक चेहरा, ज़रा बन लो,
कुछ बातें आज कर लो, आज-कल की बातें अभी कर लो|


पहचान लो परछाइयों को,
नष्ट कर डालो रुसवाइयों को,
पूर्ण करो आकांक्षाओं को,
कुछ पल खुद से दो-चार कर लो,
रुको, न जाओ अब मान भी लो,
ज़रा महसूस करो ये पल,अब ज़रा खुद को पहचान लो,
कुछ बातें आज कर लो, आज-कल की बातें अभी कर लो|

2 comments:

Daksha said...

jeene ki prerna deti hai yeh kavita, ati uttam :) Sadaa likhte raho :D

Sheyansh said...

:)
thanks Daksha