Tuesday, August 12, 2025

कालचक्र ( kal chakra)

लम्हा वो खो गया, जिंदगी था जो,
पल वो सिमट गया, फलक सा वो,
घटा जो छटी, भयानक दृश्य है वो।

दिन अब ढल ही जाता, बहलता था जो,
दिल धड़क सा जाता, धड़कता था जो,
रातें जो कट सी जाती, शिथिलती अब वो,
बातें भी थम सी जाती, अनवरत थी जो।

मस्ती जो जुबान पे थी, फलसफा अब वो,
समय नहीं रुकता, बलवान अब वो,
मेरे साथ था कल तक, है किधर अब वो,
काल का है ये चक्र, जिसके भी साथ अब वो,
बदलेगा ये चक्र, आखिर कालचक्र है वो।

4 comments:

Anonymous said...

Very good

Vaibhav said...

Zabardast

Anonymous said...

very nice 👍🏻

Saumya Verma said...

Bahut acha likhe hain